क्यों
एक और युवा ने इश्क में नाकामी से आत्मघात किया,
दादी, विधवा मां, बहन को समाज भरोसे छोड़ दिया !
अपने घर में शाम का चूल्हा जलने का भरोसा नहीं,
पर ठस दिल का सुनना है,
विवेकी दिमाग का नहीं !
क्यों हम इस कम्बख्त इश्क को इतना मान देते हैं,
क्यों इसके लिए पैसा, समय और कभी जान देते हैं !
-------
No comments:
Post a Comment