आपको
फिल्म ‘डैडी’ का वो कालजयी गाना याद होगा -
"आईना
मुझसे मेरी पहली सी
सूरत मांगे".
हम
इस गाने को बहुत पसंद करते हैं और उसका मज़ाक नहीं उड़ाना चाहते. पर
सोचें, आईने के अलावा और बहुत से आइटम हैं जो हम बूढ़ों को हमारी लिमिटेशन्स याद दिलाती हैं. इसीपर
कुछ पंक्तियाँ लिखीं हैं .
अब तक ज़िन्दा हो ठाकुर?
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे,
तुला
मुझसे मेरी पहली सी सीरत मांगे !
पतलून मुझसे मेरी पहली सी कमर मांगे,
चढाव
मुझसे मेरी पहली सी उमर मांगे !
अख़बार मुझसे मेरी पहली सी नज़र मांगे,
सीढ़ियां
मुझसे मेरा पहला सा जिगर मांगे !
कलम मुझसे मेरी पहली सी पकड़ मांगे,
कुर्सी
मुझसे मेरी पहली सी अकड़ मांगे !
कंघा मुझसे मेरे पहले से बाल मांगे,
रेजर
मुझसे मेरी पहली सी खाल मांगे !
बचे बाल अब मुझसे रोज खिजाब मांगे,
कलेजा मुझसे अल्कोहल का हिसाब मांगे
!
अमरुद
मुझसे मेरी पहले सी बत्तीसी मांगे
शहर
अब मुझसे मेरी पहचान ईत्तीसी मांगे
टीवी
अब मुझसे और निकटता मांगे,
समाज
अभी भी मुझसे जीवटता मांगे !
कैसे पूरी करूँ इन सब की मांगे,
लगे अख़बार अब मेरी औबीचुरी मांगे !!
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